नज़र चाहती है दीदार करना
दिल चाहता है प्यार करना
क्या बताएं इस दिल का आलम
नसीब में लिखा है इंतज़ार करना...!!!
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हम उनको खोना नहीं चाहते
उनकी जुदाई में रोना नहीं चाहते
दुआ करो वो सिर्फ हमारे ही रहे
क्यों की हम किसी और के होना नहीं चाहते...!!!
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हम अपना दर्द किसी को कहते नही
वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही
आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे
क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही...!!!
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आसमान से तोड़ कर ‘तारा’ दिया है
आलम ए तन्हाई में एक शरारा दिया है
मेरी ‘किस्मत’ भी ‘नाज़’ करती है मुझे पे
खुदा ने ‘ग्रुप’ ही इतना प्यारा दिया है…!!!
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