मोहब्बत मुझे थी उसी से सनम,
यादों में उसकी यह दिल तड़पता रहा,
मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी,
कब्र में भी यह दिल धड़कता रहा...!!!
हर महफ़िल भी रोयेगी, हर दिल भी रोयेगा
जहाँ डूब मेरी कस्ती, वो शाहिल भी रोयेगा
इतना प्यार भर देंगे, इस जमाने की भीड़ में
की क़तल करके मेरा क़ातिल भी रोयेगा...!!!
खुशबू ने फूल को एक अहसास बनाया
फूल ने बाग को कुछ खास बनाया
चाहत ने मोहब्बत को एक प्यास बनाया
और इस मोहब्बत ने एक और देवदास बनाया...!!!
मोहब्बत का रुतबा
तुम क्या जानो हमदम
अगर तुम्हारे आवाज़ में दर्द है
तो मेरी आँखों में भी इश्क़ है...!!!
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