मिट गए है सब
जख्म
बस निशान बाकी रह गया
सजा पूरी हो गई
गुनाह करना बाकी
रह गया...!!!
*************************
उनके दीदार के
लिए दिल तड़पता है
उनके इंतजार में
दिल तरसता है
क्या कहें इस
कम्बख्त दिल को
अपना हो कर किसी
और के लिए धड़कता है...!!!
**************************
ये शाम इतनी
तन्हा क्यों होती है,
और किस्मत से
अपनी सबको शिक़ायत क्यों होती है
अजीब खेल खेलती
है ये किश्मत भी
जिन्हे हम पा
नहीं सकते उससे ही मोहब्बत क्यों होती है...!!!
**************************
हो चुकी मुलाकात
अभी सलाम है
तुम्हारे नाम की
दो घूंट शराब बाकि है
तुमको मुबारक हो
खुशियो का शामियाना
मेरे नसीब में अभी
दो गज़ जमीन बाकि है...!!
0 Comments:
Post a Comment